अपनी जन्मकुंडली में ऐसे जाने ग्रहों की मित्रता और शत्रुता
आपकी जन्म कुंडली में कौन सा ग्रह किसका मित्र किसका शत्रु जाने ग्रहों की मैत्री
१. नैसर्गिक मैत्री
२. तात्कालिक मैत्री
३. पंचधा मैत्री
नैसर्गिक मैत्री क्या होती है?
तात्कालिक मैत्री या शत्रुता क्या होती है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की परस्पर स्थिति के आधार पर भी शत्रुता और मित्रता होती है| इस मित्रता और शत्रुता को ही तात्कालिक शत्रुता या मित्रता कहते हैं| तात्कालिक मित्रता या शत्रुता का चार्ट नीचे दिया गया है|
सूर्य की गणना
इस कुंडली में आप देखें सूर्य मंगल के घर में बैठे हैं| क्योंकि सूर्य जहाँ बैठे हैं वहाँ पर आठ नम्बर लिखा है| आठ नम्बर का मतलब हुआ वृश्चिक राशि और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं मंगल इसलिए कहा गया सूर्य मंगल के घर में बैठे हैं| अब देखें सूर्य और मंगल की नैसर्गिक मित्रता कैसी है| जब हम नैसर्गिक गृह मैत्री चार्ट को देखते हैं तो पता चलता है की सूर्य के मंगल मित्र हैं और मंगल के सूर्य मित्र हैं अब तात्कालिक मित्रता देखते हैं सूर्य से मंगल चौथे भाव में बैठे हैं इसलिए मित्र हुए| मतलब हुआ नैसर्गिक रूप से मित्र हैं तात्कालिक रूप से मित्र हैं तो ये अति मित्र हुए| तो हम कह सकते हैं पंचधा मैत्री के अनुसार सूर्य और मंगल इस कुंडली में अति मित्र हुए|
बुध की गणना
अब आप देखें बुध मंगल के घर में बैठे हैं| क्योंकि बुध जहाँ बैठे हैं वहाँ पर आठ नम्बर लिखा है| आठ नम्बर का मतलब हुआ वृश्चिक राशि और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं मंगल इसलिए कहा गया बुध मंगल के घर में बैठे हैं| अब देखें बुध और मंगल की नैसर्गिक मित्रता कैसी है| जब हम नैसर्गिक गृह मैत्री चार्ट को देखते हैं तो पता चलता है की बुध मंगल को सम मानते हैं ना मित्रता ना शत्रुता लेकिन मंगल बुध को शत्रु मानते हैं अब तात्कालिक मित्रता देखते हैं बुध से मंगल चौथे भाव में बैठे हैं इसलिए तात्कालिक मित्र हुए| मतलब हुआ नैसर्गिक रूप से सम + शत्रु = शत्रु होता है लेकिन अभी हमने तात्कालिक रूप से मित्रता की गणना नहीं की अब हम तात्कालिक मित्रता की गणना करते हैं तो हम पाते हैं की बुध और मंगल का चौथे और दशम भाव का सम्बन्ध बन रहा है अतः ये मित्र हुए| तो हम कह सकते हैं पंचधा मैत्री के अनुसार बुध और मंगल इस कुंडली में मित्र हुए|
शुक्र की गणना
अब आप शुक्र की पंचधा मैत्री देखें, शुक्र भी मंगल के घर में बैठे हैं| क्योंकि शुक्र जहाँ बैठे हैं वहाँ पर आठ नम्बर लिखा है| आठ नम्बर का मतलब हुआ वृश्चिक राशि और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं मंगल इसलिए कहा गया शुक्र मंगल के घर में बैठे हैं| अब देखें शुक्र और मंगल की नैसर्गिक मित्रता कैसी है| जब हम नैसर्गिक गृह मैत्री चार्ट को देखते हैं तो पता चलता है की शुक्र मंगल को सम मानते हैं ना मित्रता ना शत्रुता और मंगल भी शुक्र को सम मानते हैं, मतलब हुआ नैसर्गिक रूप से सम + सम = सम होता है लेकिन अभी हमने तात्कालिक रूप से मित्रता की गणना नहीं की अब हम तात्कालिक मित्रता की गणना करते हैं तो हम पाते हैं की शुक्र और मंगल का चौथे और दशम भाव का सम्बन्ध बन रहा है अतः ये मित्र हुए| तो हम कह सकते हैं पंचधा मैत्री के अनुसार शुक्र और मंगल इस कुंडली में मित्र हुए|
चंद्रमा की गणना
अब आप चंद्रमा की पंचधा मैत्री देखें, चंद्रमा सूर्य के घर में बैठे हैं| क्योंकि चंद्रमा जहाँ बैठे हैं वहाँ पर पाँच नम्बर लिखा है| पाँच नम्बर का मतलब हुआ सिंह राशि और सिंह राशि के स्वामी हैं सूर्य इसलिए कहा गया चंद्रमा सूर्य के घर में बैठे हैं| अब देखें चंद्रमा और सूर्य की नैसर्गिक मित्रता कैसी है| जब हम नैसर्गिक गृह मैत्री चार्ट को देखते हैं तो पता चलता है की चंद्रमा सूर्य को मित्र मानते हैं और सूर्य भी चंद्रमा को मित्र मानते हैं, मतलब हुआ नैसर्गिक रूप से मित्र + मित्र = मित्र होता है लेकिन अभी हमने तात्कालिक रूप से मित्रता की गणना नहीं की अब हम तात्कालिक मित्रता की गणना करते हैं तो हम पाते हैं की चंद्रमा और सूर्य का चौथे और दशम भाव का सम्बन्ध बन रहा है अतः ये मित्र हुए| तो हम कह सकते हैं पंचधा मैत्री के अनुसार चंद्रमा और सूर्य इस कुंडली में अति मित्र हुए|
गुरु की गणना
अब आप गुरु की पंचधा मैत्री देखें, गुरु बुध के घर में बैठे हैं| क्योंकि गुरु जहाँ बैठे हैं वहाँ पर तीन नम्बर लिखा है| तीन नम्बर का मतलब हुआ मिथुन राशि और मिथुन राशि के स्वामी हैं बुध इसलिए कहा गया गुरु बुध के घर में बैठे हैं| अब देखें गुरु और बुध की नैसर्गिक मित्रता कैसी है| जब हम नैसर्गिक गृह मैत्री चार्ट को देखते हैं तो पता चलता है की गुरु बुध को शत्रु मानते हैं और बुध गुरु को शत्रु मानते हैं, मतलब हुआ नैसर्गिक रूप से शत्रु + सम = शत्रु होता है लेकिन अभी हमने तात्कालिक रूप से मित्रता की गणना नहीं की अब हम तात्कालिक मित्रता की गणना करते हैं तो हम पाते हैं की गुरु से बुध छठवें घर में बैठे हैं और ये छठवें आठवें का सम्बन्ध बन रहा है जब हम तात्कालिक मित्रता चार्ट देखते हैं तो हमको ये पता चलता है की ये शत्रु योग बन रहा है अतः हम कह सकते हैं पंचधा मैत्री के अनुसार गुरु और बुध इस कुंडली में अति शत्रु हुए| क्योंकि नैसर्गिक गणना के अनुसार शत्रु और तात्कालिक गणना के अनुसार भी शत्रु योग बन रहा है शत्रु + शत्रु = अति शत्रु |
शनि की गणना
अब आप शनि की पंचधा मैत्री देखें, शनि शुक्र के घर में बैठे हैं| क्योंकि शनि जहाँ बैठे हैं वहाँ पर दो नम्बर लिखा है| दो नम्बर का मतलब हुआ वृषभ राशि और वृषभ राशि के स्वामी हैं शुक्र इसलिए कहा गया शनि शुक्र के घर में बैठे हैं| अब देखें शनि और शुक्र की नैसर्गिक मित्रता कैसी है| जब हम नैसर्गिक गृह मैत्री चार्ट को देखते हैं तो पता चलता है की शनि शुक्र को मित्र मानते हैं और शुक्र शनि को मित्र मानते हैं, मतलब हुआ नैसर्गिक रूप से मित्र + मित्र = मित्र होता है लेकिन अभी हमने तात्कालिक रूप से मित्रता की गणना नहीं की अब हम तात्कालिक मित्रता की गणना करते हैं तो हम पाते हैं की शनि से शुक्र सातवें घर में बैठे हैं जब हम तात्कालिक मित्रता चार्ट देखते हैं तो हमको ये पता चलता है की ये शत्रु योग बन रहा है अतः हम कह सकते हैं पंचधा मैत्री के अनुसार शनि और शुक्र इस कुंडली में सम हुए| क्योंकि नैसर्गिक गणना के अनुसार मित्र और तात्कालिक गणना के अनुसार शत्रु योग बन रहा है अतः मित्र + शत्रु = सम |
मंगल की गणना
अब आप मंगल की पंचधा मैत्री देखें, मंगल शनि के घर में बैठे हैं| क्योंकि मंगल जहाँ बैठे हैं वहाँ पर ग्यारह नम्बर लिखा है| ग्यारह नम्बर का मतलब हुआ कुंभ राशि और कुंभ राशि के स्वामी हैं शनि इसलिए कहा गया मंगल शनि के घर में बैठे हैं| अब देखें मंगल और शनि की नैसर्गिक मित्रता कैसी है| जब हम नैसर्गिक गृह मैत्री चार्ट को देखते हैं तो पता चलता है की मंगल शनि को सम मानते हैं और शनि मंगल को शत्रु मानते हैं, मतलब हुआ नैसर्गिक रूप से सम + शत्रु = शत्रु होता है लेकिन अभी हमने तात्कालिक रूप से मित्रता की गणना नहीं की अब हम तात्कालिक मित्रता की गणना करते हैं तो हम पाते हैं की शनि से मंगल दसवें घर में बैठे हैं जब हम तात्कालिक मित्रता चार्ट देखते हैं तो हमको ये पता चलता है की ये मित्र योग बन रहा है अतः हम कह सकते हैं पंचधा मैत्री के अनुसार शनि और मंगल इस कुंडली में मित्र हुए| क्योंकि शनि तात्कालिक रूप से मंगल को मित्र मान रहे हैं और मंगल शनि को सम मानते हैं इसलिए शनि और मंगल में मित्रता इस कुंडली में मानी गयी है|
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